मंगलवार, 9 मार्च 2021

कबीरदास जी का जीवन-परिचय

   JSR 
                     1:-कबीरदास जी
1:- जन्म:- इनका जन्म सन्1398 वाराणसी( प्राचीन नाम  काशी) के पास लहरतारा उत्तर प्रदेश में हुआ था।

2:- प्रमुख रचनाएं:- 'बीजक' जिसमें
(अ)साखी
(ब)सबद एवं
(स)रमैनी संकलित है।

3:- मृत्यु:- इनकी मृत्यु सन् 1518 में बस्ती के निकट मगहर में हुई थी।

 काव्यगत विशेषताएं

4:- भावपक्ष (भाव तथा विचार):-
(क):- दार्शनिक विचारधारा :-कबीर के काव्य में सुनिश्चित विचारधारा मिलती है। कबीर के राम निर्गुण-सगुण से परे ब्रह्म का पर्याय है:-
"निर्गुण सद्गुण से परे,तहाँ हमारो राम।"

(ख):- रहस्यवादी विचारधारा :- कबीर का काव्य में अनेक स्थानों पर रचनात्मकता के दर्शन कराता है ।
जैसे :- "राम मोरे पिया मैं राम की बहुरिया" ।

(ग);- समाज सुधार की भावना:- कबीर ने सभी मनुष्यों को बराबर माना है उनमें ना कोई ऊंचा है ना कोई नीचा ।
कबीरदास जी कहते हैं :-"जाती पाँती पूछे नहीं कोई ,                                  हरि को भजै सो हरि को होई।"

5:- कला पक्ष (भाषा तथा शैली):-
        (क):- भाषा:- इनकी भाषा में पूर्वी,अवधि, राजस्थानी,ब्रज, पंजाबी,खड़ी बोली,अरबी और फारसी आदि अनेक भाषाओं के शब्द मिलतें हैं।  इनकी भाषा अपरिमार्जित,अपरिष्कृत है और अनेक स्थानों पर इन्होंने शब्दों को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया है पर भावाभिव्यक्ति में कोई कमी नहीं आने पाए इस कारण इनकी भाषा को सधुक्कढ़ी या खिचड़ी 


(ख):-शैली:-कबीरदास शैली उपदेशात्मक है जिसकी भाषा सहज और सरल है।इनकी शैली मुक्तक काव्य शैली है। कबीर ने अपनी उलटवासियों में एक और तो प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग किया है तो दूसरी और उसमें विरोधमुलक चमत्कार भी देखने को मिलता है।
जैसे:-" समंदर लागी आगे मंछी रुखा चली गई।
     देखा कबीरा जाग नदियाँ जलि कोयला भई।।"

6:- साहित्य में स्थान:-कबीरदास भक्ति काल के निर्गुण धारा (ज्ञानाश्रयी शाखा)के प्रतिनिधि कवि हैं। वह अपनी बात को साफ एवं दो टूक शब्दों में प्रभावी ढंग से कह देने के हिमायती थे ।कबीरदास जी को हजारी प्रसाद द्विवेदी ने वाणी का डिक्टेटर कहा है । इनके उपदेश आज भी प्रसांगिक है। इनमें समर्पित भक्त कवि और अक्खड़ समाज-सुधारक का विस्मायकारी सामंजस्य है।


                       🙏धन्यवाद 🙏
                       । पढ़ने के लिए 



                                                                          


English Translation:-
 

JSR
                     1: - Kabirdas ji

1: - Birth: - He was born in 1398 in Lahartara, Uttar Pradesh near Varanasi (ancient name Kashi).

2: - Major compositions: - 'Beejak' in which
(A) Sakhi
(B) Sabd and
(C) Ramani is compiled.

3: - Death: - He died in 1518 in Maghar near the township.

 Poetic features

4: - Bhavapaksha (expressions and thoughts): -
(A): - Philosophical ideology: - Definite ideology is found in Kabir's poetry. Kabir's Ram is synonymous with Brahma beyond Nirgun-Saguna: -
"Beyond the virtuous virtue, there we have Ram."

(B): - Mystic Ideology: - Kabir's philosophy of creativity at many places in poetry.
Such as: - "Ram More Piya Main Ram Ki Bahuriya".

(C); - The spirit of social reform: - Kabir has treated all human beings as equal, there is no one higher or lower.
Kabirdas ji says: "Nobody asks caste, please send it to Hari, so it is done to Hari."

5: - Art aspect (language and style): -
        (A): - Language: - Their language contains words of many languages ​​like Eastern, Period, Rajasthani, Braj, Punjabi, Khadi Boli, Arabic and Persian. His language is infinite, crude and in many places he has twisted the words, but there is no reduction in the expression, due to which his language can be seen as Sadhukkadhi .


(B): - Style: - Kabirdas style is ecclesiastical whose language is simple and simple. Its style is Muktak poetic style. Kabir has used one more symbolic style in his inversions, and the other has also seen opposing miracles.
Such as: - "The sea went ahead and the fish went dry."
     Saw Kabira awake rivers burning coal. "

6: - Place in literature: - Kabirdas is the representative poet of the Nirguna Dhara (Gyanashrayi branch) of the Bhakti period. He was supportive of saying his words clearly and clearly in words. Hazard Prasad Dwivedi has been called the dictator of speech by Hazari Prasad Dwivedi. His teachings are relevant even today. Among them is the astonishing harmony of the devoted devotee poet and the arrogant social-reformer.


                       Thank you
                       . for reading .

शनिवार, 6 मार्च 2021

Class 11th Physics Chapter 2 ke notes

JSR
              Chapter :-2 (अध्याय:-2)
                       मात्रक और मापन
                 (Unit & Measurment)
                          (Part:-1)

1.भौतिक राशि:- वह राशि जिसकी माप की जा सकती है, भौतिक राशि कहलाती हैं।

2 . मापन(Measurment ):- किसी भौतिक राशि का एक ज्ञात नियत मानक राशि से तुलना करना मापन कहलाता है।
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3.मात्रक (Unit):- किसी भौतिक राशि को मापने के लिए उस राशि के एक निश्चित परिमाण को हम मानक मानते हैं जिसे मात्रक कहा जाता है।

4. संख्यात्मक मान (Numerical Value):- किसी भौतिक राशि का संख्यात्मक मान वह मान होता है जो यह बताता है कि उक्त मात्रक उस भौतिक राशि में कितनी बार शामिल है।
    किसी वस्तु का द्रव्यमान 2kg हैं तो इसमें 2 इस राशि का संख्यात्मक मान हैं।

5. मात्रक की विशेषताएं(Requisites of Unit):-
1. मात्रक स्पष्ट रूप से परिभाषित एवं उचित आकार का होना चाहिए ।
2.मात्रक ऐसा होना चाहिए जिसे पुनरुत्पादित किया जा सके ।
3.मात्रक के परिमाण पर समय तथा स्थान का कोई प्रभाव नहीं पढ़ना चाहिए ।
4.मात्रक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वमान्य होना चाहिए।

6.मूल राशियाँ(Fundamental Quantities):- वे भौतिक राशियां जो एक दूसरे से स्वतंत्र होती हैं,मूल राशियां कहलाती हैं।
      अथवा:- मूल राशियां वे हैं जिन्हें ना तो किन्हीं अन्य राशियो से व्युत्पन किया जा सकता हैं और न ही अन्य राशियों के पदों में व्यक्त किया जा सकता है। 
      उदाहरण के लिए :- लंबाई,  द्रव्यमान, ताप आदि।

7.मूल मात्रक  (Fundamental Units):- मूल राशि के मात्रको को मूल मात्रक कहते हैं 
     अथवा:- वह मात्रक जो किसी भी अन्य मात्रकों पर निर्भर नहीं करता अर्थात जिसे किसी अन्य राशि के मात्रक मैं नहीं बदला जा सकता या उससे संबंध नहीं किया जा सकता है मूल मात्रक कहलाता है।

 8.:- पूरक राशियाँ:- वे भौतिक राशिया जो मूल राशियों को पूरा करती हैं पूरक राशियाँ कहलाती हैं, तथा इनके मात्रक पूरक मात्रक कहलाते हैं।

          कुछ मूल राशियाँ एवं मूल मात्रक नीचे तालिका में दिए हैं  
9:-व्युत्पन राशियाँ(Derived Quantities):- वे भौतिक राशिया जो मूल राशियों के पदों में व्यक्त की जाती है व्युत्पन राशियां कहलाती हैं ।
        अथवा :-वे भौतिक राशिया जो मूल राशियों के विभिन्न घातों के रूप में व्यक्त की जा सकती है व्युत्पन राशियाँ कहलाती हैं।
    For example:- क्षेत्रफल= लंबाई × चौड़ाई =(लंबाई) का वर्ग, आदि।
        कुछ व्युत्पन राशिया एवं व्युत्पन मात्रक नीचे तालिका में दिए :-
10:-मूल मात्रक और व्युत्पन मात्रक मे अंतर: -

Thank you 



                                                                           


English Translation:-



JSR
              Chapter: -2 (Chapter: -2)
                       Unit and measurement
                 (Unit & Measurment)
                          (Part: -1)

1. Physical Quantities : - The amount that can be measured is called physical quantities. 

2 . Measurment: - Comparison of a physical amount with a known fixed standard amount is called measurement.
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3. Unit: - To measure a physical amount, we consider a certain quantity of that amount as a standard, which is called a unit.

4. Numerical Value: - The numerical value of a physical amount is the value that tells how many times the said unit is included in that physical amount.
    If an object has a mass of 2kg, it has 2 numerical values ​​of this amount.

5. Features of Unit (Requisites of Unit): -
1. The unit should be clearly defined and of appropriate size.
2. The quantity should be such that it can be reproduced.
3. No effect of time and space should be read on the quantity of quantity.
4. The number must be internationally accepted.

6. Fundamental Quantities: - The physical quantities which are independent of each other are called the basic zodiac signs.
      Or: - The principal zodiac signs are those which can neither be derived from any other zodiacs nor can be expressed in terms of other zodiacs.
      For example: - Length, mass, heat etc.

7. Fundamental Units: - The units of the original amount are called the original units.
     Or: - The unit which does not depend on any other units, ie, which cannot be changed or related to any other unit of unit is called the root unit.

 8.:- Supplementry quantities: - The physical quantities that meet the basic quantities are called complementary quantities, and their units are called supplementary quantities.

          Some basic quantities and basic units are given in the table below.
 
9: - Derived Quantities: - The physical states which are expressed in the terms of the original zodiac signs are called derivative zodiacs.
        Or: - They are physical derivatives which can be expressed as different powers of the original zodiac signs.
    For example: - Area = length × width = square of (length), etc.
        Some derivative states and derivative units are given in the table below: 
 
 

10: - Difference between original unit and derivative unit: -

  Thank you 

Raja Krishn Pratap Singh Thakur


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Raja Krishn Pratap Singh Thakur

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